यह किसके लिये उपयोगी है?
अभिभावक, शिक्षक, नीति निर्माता, और बहु-संवेदी दिव्यांग व्यक्ति (बधिरांध)
यह दस्तावेज़ बधिरांधता की जटिलता को समझाने का प्रयास करता है, जिसमें किसी व्यक्ति में देखने और सुनने दोनों की क्षमता नहीं होती है। इसमें इसके चार मुख्य प्रकारों का उल्लेख किया गया है, जैसे आंशिक दृष्टि और आंशिक श्रवण का होना आदि।
भारत में लगभग पाँच लाख लोग इस स्थिति से प्रभावित हैं, परंतु केवल एक छोटा सा हिस्सा ही शिक्षा और पुनर्वास की सेवाएं प्राप्त कर रहा है। यह जानकारी उपयुक्त नीति निर्माण को प्रेरित करने में और जागरूकता बढ़ाने में सहायक हो सकती है, जिससे इन लोगों को बेहतर सहायता मिल सके।
बधिरांधता
बधिरांधता एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक ही व्यक्ति में सुनने और देखने की क्षमता एक साथ नहीं होती है। इससे वार्तालाप में गंभीर समस्या, विकास में देरी, चलने-फिरने संबंधी समस्या और शिक्षा के लिए विशेष किस्म की आवश्यकताओं की स्थिति पैदा हो सकती है।
बधिरांधता के प्रकार
- पूर्ण दृष्टिबाधिता के साथ अल्प-श्रवण बाधिता
- पूर्ण दृष्टिबाधिता के साथ पूर्ण श्रवण बाधिता
- पूर्ण श्रवण बाधिता के साथ अल्प-दृष्टि
- अल्प-दृष्टि के साथ अल्प श्रवण बाधिता
यह अनुमान लगाया गया है की भारत में लगभग 5,00,000 और पूर्वी क्षेत्र में लगभग 1,00,500 से अधिक बधिरांधता/बहु-संवेदी असमर्थता वाले व्यक्ति रहते हैं, जिसमें से केवल 9,600 लोग ही किसी प्रकार की शिक्षा और पुनर्वास की सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं। वर्तमान समय में बड़ी संख्या में बधिरांध लोग हमारी पहुँच से परे हैं, और अभी भी उनको विशेष सेवाओं की जरूरत है। उपयुक्त जाँच, शुरूआती पहचान, उचित देखभाल, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं से बधिरांध बच्चों को उनकी दोहरी संवेदी असमर्थता के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
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