भारत में अनुमानित 5,52,000 लोग बधिरांधता के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।*
*वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफब्लाइंड (WFDB), 2018 – CRPD और SDG कार्यान्वयन से बहिष्कार के जोखिम में: असमानता और बधिरांध लोग।
भारतीय संदर्भ में, बधिरांधता को ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016’ में इस प्रकार परिभाषित किया गया है:
“ऐसी स्थिति जिसमें किसी व्यक्ति में सुनने और देखने दोनों प्रकार की हानि होती है, जिससे गंभीर सम्प्रेषण, विकास और शैक्षिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।”
भारत में 5,00,000 से अधिक लोग बधिरांधता के साथ जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन इस समुदाय के सहयोग हेतु समर्पित संगठनों की संख्या अभी भी सीमित है।
1997 में, भारत में केवल एक विद्यालय था जो बधिरांधता से प्रभावित 23 बच्चों को शिक्षा और अन्य सेवाएँ प्रदान कर रहा था।
सेंस इंडिया वर्तमान में भारत के 23 राज्यों में 60 साझेदार ग़ैर सरकारी संस्थानों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है, और 80,000 से अधिक बधिरांध लोगों के जीवन को रूपांतरित कर चुका है — उन्हें अलगाव और उपेक्षा से निकालकर आत्म-समझ, आत्मनिर्भरता और सक्रिय जीवन की ओर ले जा रहा है।
प्रौद्योगिकी तक पहुँच बधिरांध लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी साधन सिद्ध हो सकती है, जो उन्हें जानकारी प्राप्त करने, दूसरों से बातचीत करने, और दैनिक जीवन में सक्रिय भागीदारी के नए अवसर प्रदान करती है।
ये संसाधन बधिरांध लोगों और उन्हें सहयोग देने वालों को जीवन जीने, सीखने और उन्नति करने में सक्षम बनाएँगे।
आरपीडब्ल्यडी अधिनियम, 2016 का ए-जेड
आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 का ए-से-जेड एक आसान मार्गदर्शिका है, जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम पर आधारित है। यह भारत सरकार द्वारा पारित एक ऐतिहासिक कानून है, जिसका उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और विशेषाधिकारों की रक्षा करना है।
विकलांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र संधि
यह विकलांग व्यक्तियों के कुछ अधिकारों का संक्षिप्त विवरण है, जैसा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र संधि के अनुच्छेदों में वर्णित है। यह कोई कानूनी दस्तावेज़ नहीं है। इस पृष्ठ पर आपको निम्नलिखित जानकारी मिलेगी: संयुक्त राष्ट्र संगठन क्या है? अधिकारों का अर्थ क्या है? – अनुच्छेद…
बधिरांधता से प्रभावित व्यक्ति से बातचीत करने के तरीके
बधिरांधता से प्रभावित व्यक्ति से एवं करने एवं जुड़ने के हजारों तरीके हैं – चाहे वह वाक्, सांकेतिक भाषा, स्पर्श, गति, हावभाव, ध्वनि, चित्र, वस्तुएं या इलेक्ट्रॉनिक सहायता के माध्यम से हो। याद रखें, एवं संवाद करने का नया तरीका सीखने में कभी देर नहीं होती। कोशिश करते रहें एवं गलत होने की चिंता न करें।